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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह २०१ (१४६४) ........... गोत्रे सा० धर्मसी भार्या..... श्री संभव बिंब प्रति० श्री खरतर गच्छे श्री जिनमाणिक्यसूरि पट्टे युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः (१४६५ ) प्रतिष्ठितं युगप्रधान श्री जिनराजसूरिभिः ( १४६६ ) श्री धर्मनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं..... ( १४६७) सं १६६२ को...."भार्या मना श्राविकयाः श्री खरतर गच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिभिः.... (१४६८) सं० १६६२ व०...............श्री खरतर गच्छे (१४६६) सं० १८२६ कार्तिक सुदि ६ (१५००) सं० १६६० 4. यदि ऊ गो० तेज.................. "बिवं का०प्र० श्री जिनराज....... ( १५०१) सं० १९६० मि । आ ।३ श्री जिनकुशलसूरीणां चरणपादुका प्रति० श्री............ धातु प्रतिमाओं के लेख ( १५०२ ) श्री आदिनाथ चौवीसी सं० १४६५ ज्ये० सु० १४ प्राग्वाट सं० कुंरपाल भा० कमलदे पुत्र सं० रमा भ्रातृ सं० धरणाकेन सं० रना भा० रत्नादे पुत्र लाखा सजा सोना सालिग स्वभार्या धारलदे पुत्र जाजा जावड़ प्रमुख कुटुम्ब युतेन श्री आदिनाथ चतुर्विशतिका पट्टः कारितः प्र० तपा श्रीदेवसुन्दरसूरि शिष्य श्रीसोमसुन्दरसूरिभिः ।। श्री श्री श्री श्री ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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