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________________ १६८ बीकानेर जैन लेखग्रह (१४७६ ) शांतिनाथ जी ६०॥ सं० १४६३ वर्ष फा० २०१३ उपकेश वंशे दरड़ा दाहड़ सुत सा० डामर पुत्र दरड़ा कुसला द० कीहनाभ्यां सपरिवाराभ्यां आत्म श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं स्वरतर श्री जिनभद्रसूरिभिः (१४७७) पार्श्वनाथ सं० १३६० वर्षे ज्येष्ठ वदि ११ श्री उपकेश गच्छे चिप्पाड़ (१) गोशे सा० महीधर सु० खाखट सुतैः सा० कोल्हा सा० मोल्हा कुलधर मुसादिभिः पितुः श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ का० प्रति० श्री ककुदाचार्य संताने । श्री ककसूरिभिः चिरं नंदतात् (१४७८) सं० ८५ :१) ज्येष्ठ सुदि : श्री भावदेवाचार्य गच्छे जसा पत्न्या सूहवाभिधा व्रतनया श्रेयोथं कारिता (१४७६) पार्श्वनाथ जी सं० १३४६ वर्षे आषाढ वदि १ संडेर गच्छे श्री सहदा भार्या सूहब पुत्र मलसी रावण जमातृ सूहव श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिवं कारितं प्र० श्रीशालिसूरिभिः ( १४८०) पार्श्वनाथ १२६५ वर्षे पासाभार्या पदमल देव्याभ पाता श्रेयोथं श्री पार्श्वनाथ बिंबं कारितं प्रतिष्ठितं चैत्र० श्री यदमदेवसूरिभिः (१४८१) सं०..... मार्ग सुदि. श्री मूल भ श्री जिनचंद्र ........."ईगर त पणमति (१४८२) आदिनाथ . . . . . . . .''वर्षे ज्येष्ठ सुदि ७ शुक्रे उप० चादू भा० हीरादे पु० सगर सायराभ्यां पितृ पितृष्यक यसे श्री आदि (जि ) न बिंब कारितं प्र० पिपलाचार्यः श्री वीरप्रभसूरिभिः "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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