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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह १८३ """""मदारक श्री..... सं० १५४८ का वैशाख सुदि ३....." ( १३८८ ) श्री चन्द्रप्रभ स्वामी सं० १५४८ वरखे वैसाख सुदि ३ श्री मूल संघे भट्टारक जी श्री..... चन्द्रप्रभ धातु प्रतिमाओं के लेख (१३८६ ) मूलनायकजी श्री वासुपूज्यादि चौवीशी सं० १५७३ वर्षे फाल्गुन बदि २ रवौ प्राग्वाट जातीय महं० बाघा भार्या गोगी पुत्र मं० लाधा भार्या माणिक दे पुत्र सं० कर्मसीकेन भार्या रां० कसमीर दे पुत्र अढमल्ल गढमल्लादि कुटुंब युतेन स्वश्रेयोथं श्री वासुपूज्य बिंबं चतुर्विशति पट्ट युतं कारितं प्रतिष्ठितं तप गच्छे श्री सोमसुन्दर सूरि संताने श्री कमल कलश सूरि पट्टे श्री जयकल्याण सूरिभिः श्री रस्तु ।। (१३६०) श्री पार्श्वनाथजी सं० १४५६ वर्षे माघ सुदि १३ शनौ उप० छाजहड़ गोत्रे सा धांधा पु० भोजा भा० पद्मसिरि पु० मलयसी भा० सूहब पु० मना भा० देवल पु० रत्ताकेन आत्म श्रेयसे श्री पार्श्वनाथ बिंबं कारितं पल्लीवाल गच्छे प्रतिष्ठितं श्री शांतिसूरिभिः॥ ( १३६१) श्री सुपार्श्वनाथजी सं० १६२२ वर्षे वैशाख सुदि ३ सोमवारे उपकेश वंशे राखेचा गोत्रे साह आपू तत्पुत्र साह भाडाकेन पुत्र सा० नींबा माडू मेखा । हेमराज धनू । श्री सुपार्श्व बिंब कारापितं श्री खरतर गच्छे श्री जिन माणिक्य सूरि पट्टाधिप श्री जिनचन्द्र सूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभमस्तु । (१३६२) श्री शान्तिनाथजी सं० १४५७ वैशाख सुदि ३ शनौ उपकेश ज्ञा० भरहट गो० व्य० देसल भा० देसलदे पु० भादा मादा हादाकैः भ्रातृ देदा श्रे० श्री शांति बि० का० उपकेश ग० ककुदाचार्य सं० प्र० श्री देवगुप्त रिभिसू॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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