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________________ बीकानेर जैन लेख संग्रह (१५६० । अष्टदल कमल मध्यस्थ श्री पार्श्वनाथजा सा० लाखा केन० पार्श्व बिंबं का० श्री सुविधिनाथजी सं० १७६८ बै० सु० ६ सा० मंगल जी भार्या रही सुविधि विबं कारितं ।। (१२६२) श्री शान्तिनाथजी संवत् १ --दि १३ गुरु ओसवाल ... 'गोने सा० परमाणंद तस्य भार्या केसर दे पुत्र सा० करमसी किसनदास केशलसी दयालदास पदारथ श्री शांतिनाथ बिंबं प्रतिष्ठितं भट्टारक श्री नेमिचन्द्र सूरि । महाराजा श्री सरूपसिंह विराज्यत कारापितं .... मध्ये ।। ( १२६३ ) सं० १७५५ ज्येष्ठ सुदि ६ श्री पा० दुरगा दे कराई ( १२६ ) सं० १५८२ रत्नाई कारा. मूल मन्दिर से पीछे की देहरी में पापाण प्रतिमादि के लेख । १२६५ . पंचकल्याणक पट्टपर ( १ ) संवत् १६०५ वर्षे शाके १७७० माघ शुरु ५ तिथौ हिमांशुषासरे ओएस वंशे वृद्ध शाखायां वैद्य मुहता समस्त श्री संघ समासेन श्री नेमि जिने (२) स्य पंचकल्याणकानां स्वरूपः कारापितः प्रतिष्ठितश्च श्री मदुपकेशगच्छे भट्टारक श्री देवगुप्तसूरिभिः ।। ( १२६६ ) गाधर पादुकाओं पर ( १ ) संवत् १६०५ वर्षे माघ शुक्ल पंचम्यां ५ तिथौ चन्द्रवासरे उएश वंशे वृद्ध शाखायां श्रेष्ठगोत्र वे "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009684
Book TitleBikaner Jain Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year
Total Pages658
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size22 MB
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