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________________ ( ३१५ ) ( ३६२ ) सं० १६२४ विक्रम, शक सं० १४८८ माघशु० १ सोमवार के दिन ओसवालज्ञातीय श्रे० धरणा भार्या धरणादेवी पुत्र देवचन्द्र भार्या सुजाणदेवी, प्रेमलदेवीने अपने वंश के कल्याणार्थ साधु पूर्णिमापक्ष के श्रीविद्याचन्द्रसूरि के उपदेश से श्रीवासुपूज्यस्वामी का ( पंचतीर्थी ) बिम्ब बनवाया और संवने उसको प्रतिष्ठित करवाया । ( ३६३ ) सं० १५१३ पौषकृ० ३ शुक्रवार के दिन महाजनी सुहड़ भार्या सुहड़ादेवी पुत्र भोजराजने भार्या अमरादेवी, माता पिता तथा आत्मकल्याणार्थ पूर्णिमापक्ष के श्रीकमलसूरि के द्वारा श्रीशान्तिनाथ का ( पंचतीर्थी ) बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( ३६४ ) सं० १५९० वैशाखशु० ५ के दिन तपागच्छीय वृद्धशाखा के श्रीधनरत्नसूरि के द्वारा पत्तन नगर में मोदज्ञातीय बृहच्छाखा के भणशाली भांगा भार्या सोनाई (सुवर्णादेवी ) पुत्र तुलखाईने आत्म कल्याण के लिये श्री शान्तिनाथ ( पंचतीर्थी ) बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( ३६५ ) सं० १५१० फाल्गुन शु० ३ गुरुवार के दिन नागेन्द्र- "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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