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________________ ( ३१४ ) श्रीरत्नशेखरसूरि के पट्टधर श्रीलक्ष्मीसागरसूरि के द्वारा श्री विमलनाथ (पंचतीर्थी ) बिंब प्रतिष्ठित करवाया । ( ३५९ ) सं० १५१७ फाल्गुनशु० ३ शुक्रवार के दिन विमलगच्छीय श्रीधर्मसागरसूरि के द्वारा अहमदाबाद में श्रीमाल - ज्ञातीय शाह नागसिंह भार्या डाहीबाई पुत्र वानर मा० आशीदेवीने स्वकल्याणार्थ श्री अजितनाथ - पंचतीर्थी प्रतिष्ठित करवाई | ( ३६० ) सं० १५०५ माघशु० ५ रविवार के दिन पूर्णिमापक्षीय श्रीगुणसुन्दसूरि के उपदेश से श्री श्रीमालज्ञातीय श्रे० वगरसिंह भार्या सांभलदेवी पुत्र समधरणने अपने माता पिता के कल्याणार्थ श्री कुन्थुनाथ ( पंचतीर्थी ) चिम्ब सविधि प्रतिष्ठित करवाया । ( ३६१ ) सं० १५३२ वैशाखशु० १० शुक्रवार के दिन श्री श्रीवंशीय मंत्री धना ( धनराज ) भार्या धांधलदेवी पुत्र मंत्री पांचा (पंचराज ) सुश्रावकने स्वभार्या फकू, पुत्र महं० सालिग सहित पिता के पुण्यार्थ अंचलगच्छ के श्रीजयकेशरसूरि के उपदेश से लोलाड़ा ग्राम में ( संभवतः लुआणा ) श्रीसंघने श्रीसुमतिनाथ पंचतीर्थी बिम्ब प्रतिष्ठित करवाया । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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