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________________ ( २६१) चतुर्विंशतिजिनप करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभविया श्रीधर्मशेखरसूरिने की। ___ ( २२९) सं० १५१२ ज्येष्ठशु० ५ रविवार के दिन बड़लीग्रामनिवासी थारापद्रगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय महं. गोगन भा० नूंजीवाई पुत्र रसाजन मा० सुहरदेवी, सायर भा० नाईबाईने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीआदिनाथचतुर्विशति जिनपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीविजयसिंहसरिने की। (२३०) ... सं० १४८५ माघशु०१० शनिवार के दिन श्रीश्रीमालजातीय व्य० सुहसिंह मा० साजनदेवी द्वि० भा० श्रीदेवी पुत्र लालचन्द्र ने अपने माता, पिता, भाता खींदा के श्रेयार्थ श्रीशान्तिनाथचतुर्विंशतिजिनपट्ट करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभविया श्रीधर्मशेखरसूरिने की। (२३१) . सं० १५८४ माधकृ० ११ रविवार के दिन राजाधिराज श्रीसुमित्रराजा माता पद्मावती देवी के पुत्र श्री श्री श्री श्री श्रीमुनिसुव्रतस्वामी का बिम्ब सं. कहरदेवी के पुत्र वीहड़देव के पुत्र राजारामने कर्मों के क्षय के लिये करवाया। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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