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________________ ( २४९) शातीय मे० फला, मा० पोमीबाई, प्राता जयकुरुसिंह के अयार्थ (फलराज) के पुत्र रहियाने श्रीन्युनाथजी का बिम्ब पिष्पलगच्छीय म० श्रीनीतिरत्नसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया। ( १८६) सं० १४८४ वैशाखक० ११ रविवार के दिन श्रीश्रीमालक्षातीय व्यव० फूटरमल मा० हांसलदेवीने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीकुन्थुनाथजी का बिम्ब पिपलमच्छीय श्रीधर्मशेसरमरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया। (१८७) सं० १०४६ चैत्रकृ० १ के दिन अचलपुर के संघने (बिम्ब प्रतिष्ठित ) करवाया। (१८८) सं० १४८९ बैशाखशु०३ बुधवार के दिन श्रीश्री. मालज्ञातीय श्रे० हीराने मा० हीरादेवी, पुत्र माखर भा० साणीवाई अपने माता के श्रेयार्थ श्रीआदिनाथजी का बिम्ब श्रीब्रह्माणगच्छीय श्रीक्षमासूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया। __(१८९) सं० १५५२ वैशाखक. ३ शनिवार के दिन श्रीकुंडी. शासा के श्रीश्रीवंशीय व्य. गहिना मा० शाहपाई पुत्र करणराज मा० तारू पुत्र पांता भा० रामतीबाईने पिता के "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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