SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 261
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २४८ ) श्रेयार्थ श्रीपुण्यतिलकसूरिद्वारा श्री पितृम्य विजयराज के शान्तिनाथजी का विम्ब प्रतिष्ठित करवाया । ( १८२ ) सं० १४५६ ज्येष्ठशु० १३ गुरुवार के दिन प्राग्वाट ज्ञातीय श्रे० सांगण भा० सुगुणादेवी के पुत्र मेघराजने आता गुणपाल, झगडमल, माता कुरदेवी के श्रेवार्थ श्रीसंभवनाथजी का विम्ब श्रीरत्नप्रभसूरि के उपदेश से प्रति ष्ठित करवाया | ( १८३ ) सं० १४६५ वैशाखशु० ३ गुरुवार के दिन श्री श्रीमालज्ञातीय व्यव० वीरा भा० वील्हणदेवी के पुत्र पर्वतने अपनी माता के श्रेयार्थ श्रीसंभवनाथजी का विम्ब नागेन्द्रमच्छीय श्रीरत्नसिंहरि द्वारा प्रतिष्ठित करवाया । ( १८४ ) सं० १४५३ वैशाखशु० ३ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव० देपाकने पितृव्य नड़ीमल, माता सुहडादेवी, भ्राता खीमा, नडुआ, पंचजन के श्रेयार्थ श्रीघनतिलकसूरि के उपदेश से श्रीआदिनाथपंचतीर्थी प्रतिष्ठित करवाई । ( १८५ ) सं० १४९६ फाल्गुनक० रविवार के दिन श्रीश्रीमाल "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy