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________________ । २३७ ) इलाराज, अर्जुन और गोलराजने अपने पिता माता के श्रेयार्थ श्रीआदिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीविजयसिंहसरिने की। (१४३) सं० १५२० चैत्रक० ५ बुधवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० शालिगने स्वभार्या गेरीबाई सहित पिता काल्हराज, माता रूपमति और अपने श्रेयार्थ भीकुन्धुनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिमविया श्रीधर्मशेखरसूरि के पट्टधर श्रीधर्मसूरिने की। (१४४) सं० १५१५ वैशाखशु०१३ रविवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव० मेहा भा० खंतलदेवी के पुत्र जयसिंहने स्वभार्या जयमादेवी के सहित माता, पिता और अपने श्रेयार्थ श्रीचन्द्रप्रभस्वामी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय भडा० श्रीविजयदेवरि के उपदेश से भी शालिमद्रसरिने मजोहग्राम में की। सं० १५२४ वैशाखशु०३ सोमवार के दिन सिद्धसन्तानीय श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० लक्ष्मणसिंह मा० मंजूदेवी के पुत्र गणियाने मा० विजयदेवी, पुत्र आशधर सहित "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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