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________________ (२३६) नगर निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय महाजनी साल्हा भा० फरकुदेवी पुत्र क्षेमराज मा० खेतलदेवीने पुत्र राजा सहित अपने कल्याणार्थ जीवितस्वामि श्रीनमिनाथजी का बिम्ब श्रीपू० मट्टा० श्रीवीरप्रमसूरि के सदुपदेश से प्रतिष्ठित करवाया। (१४०) - सं० १५१६ आषाढ...रविवार के दिन श्रीश्रीमालजातीय श्रे० वत्सा मा० पीझलदेवी के पुत्र शिवराजने अपने पिता, माता के श्रेयार्थ श्रीअजितनाथजी का बिम्ब पूर्णिमापक्षीय श्रीगुणसमुद्ररि के पइधर श्रीगुणधीरसूरि के उपदेश से तडेडाग्राम में मविधि प्रतिष्ठित करवाया। (१४१) सं० १५१६ माघक० ९ सोमवार के दिन प्राग्वाटज्ञातीय व्य० खोखा मा० कील्हणदेवी पुत्र देवराजने भा० मुलहश्री, पुत्र भरमा आदि सहित अपने आत्मकल्याणार्थ श्रीशीतलनाथजी का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पूर्णिमापक्षीय श्रीदेवचन्द्रसरि के उपदेश से हुई। (१४२) सं० १५०५ वैशाखशु० ३ शुक्रवार के दिन थिरापद्रनगर निवासी थिरापद्रगच्छीय श्रीश्रीमालज्ञातीय ध्रु० धीरजमल भ्रात् नरसिंह, धीरजमल भा० धांधलदेवी के पुत्र "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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