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________________ ( २२०) ज्ञातीय व्य० सायर भा० संसारदेवी पुत्र व्य० कुरसिंह मा० नयनादेवी के पुत्र जयसिंहने श्रीधर्मनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभवीया श्रीधर्मशेखरसूरि के पट्टधर श्रीधर्मसुन्दरमूरिने की। (८७) सं. १५२५ ज्येष्ठ शु० ५ सोमवार के दिन वइरवाड़ा. ग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० गोलराज भा० गुरु देवी पुत्र हेमराजने भा० हीरादेवी माधु (माध्वी) पुत्र विजयराजसिंह परिजनों के सहित अपने कल्याणार्थ श्री अजितनाथप्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्री ब्रह्माणगच्छीय श्रीवीरमूरिने की। (८८) सं० १५१० फाल्गुनशु० ११ शनिवार के दिन श्रीश्री. मालज्ञातीय व्य० पुण्यपाल भा. पाल्हण देवी के पुत्र हीराचन्द्र, हरिश्चन्द्रने पूर्वजों के श्रेयार्थ श्रीआदिनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीमावडारगच्छीय श्रीकालिकाचार्यसन्तानीय श्रीवीरसरि के उपदेश से हुई। सं० १५६१ माघकृ० ५ शुक्रवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० देवउ( देवराज) मा० पात्रीबाई पुत्र क्षेमराज "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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