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________________ ( २१९) श्रेयार्थ श्रीपबप्रभपंचतीर्थी करवाई जो श्रीआगमगच्छीय श्रीअमररत्नहरि के उपदेश से प्रतिष्ठित हुई । (८३) . सं० १५१६ आषाढशु० १ शुक्रवार के दिन श्रीश्री. मालज्ञातीय व्य० कान्हा मा० कमलादेवी के पुत्र गुहिगराज, सूरदेवने मातापिता व आत्मश्रेयार्थ श्रीनमिनाथजी का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय श्रीसोमचन्द्रसूरि के पट्टधर श्रीउदयदेवमूरिने की। (८४) सं० १५१७ चैत्रपूर्णिमा के दिन श्रीमालज्ञातीय क्षेडरियागोत्र में सं० कानू (कन्हैयालाल) पुत्र रणवीर श्रावकने मा० हर्षादेवी के सुपुण्यार्थ श्रीशान्तिनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा खरतरगच्छीय जिनभद्रसूरि के पट्टधर श्रीजिनचन्द्रसरिने की। (८५) सं० १२२० ज्येष्ठशु० ९ रविवार के दिन श्रियाहडने श्रीपार्श्वनाथ की प्रतिमा करवाई जिसकी प्रतिष्ठा प्रभुश्रीहेमचन्द्रसूरिने की। (८६) सं० १५११ माघशु० ५ गुरुवार के दिन श्रीश्रीमाल "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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