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________________ (२१६) में रायथला सेठिया गोत्रीय धरणा पुत्र वेलराजने मा० विमलादेवी पुत्र खेमा, वेला, गजा आदि के श्रेयार्थ श्रीनमिनाथप्रभु का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा खरतरगच्छीय श्रीजिनचन्द्रसूरिने की। (७३) सं० १४९३ फाल्गुनशु० १ उपकेशवंशीय नवलक्षाशाखा में शा० पाल्हा पुत्र शा. पीचा, फमणा श्रावकोंने श्रीआदिनाथप्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा खर• तरगच्छीय श्रीजिनचन्द्रसूरिने की। (७४) सं० १५९८ चैत्रशु०५ बुधवार के दिन कावेयरिग्राम निवासी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० प्रपितामह पेथा प्रपितामही प्रथमादेवी पितामह नीम्बराज पितामही कर्मादेवी पिता मेघराज माव आशादेवी के पुत्र पारखराज, लल्लूने अपने पूर्वज तथा माता पिता के श्रेयार्थ श्रीशीतलनाथचतुर्विंशतिजिनपट्ट करवाया, जिसको पिष्पलगच्छीय श्रीसमरचन्द्रमरि के पट्टधर श्रीशुभचन्द्रमरिने प्रतिष्ठित किया। (७५) सं० १४७१ श्रीश्रीमालक्षातीय श्रे० करहुआ भा० मंजूबाई पुत्र बालचंद्र ने अपने भ्राता लालचंद के श्रेयार्थ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009682
Book TitleJain Pratima Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri, Daulatsinh Lodha
PublisherYatindra Sahitya Sadan Dhamaniya Mewad
Publication Year1951
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size5 MB
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