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उपाध्याय श्री समयसुन्दरजी विरचित
श्री आदीश्वर स्तवन
[दाल १ -- गलियारे साजन मिल्यानी चाल ] प्रथम तीर्थंकर प्रणमिये, हुंवारी लाल, आदिनाथ अरिहन्त रे । हूं गणधर वसही गुण निलो, हुंछ, नत्र जंजन जगवंत ॥ हुँ० प्र० १
दाग २ - अलवेलानी चाल ] सच्चू गणधर शुनमतिरे, ला०, जयवंत जत्रिज जास। मन मान्यारे मिलि प्रासाद मंडावियो रे, ला०, बानो मन उदास ॥ म प्र० ५
[ढाल ३ --- ओलगड़ो नो चाल] ध्रमसी जिनदत्त देवसी, जीमसी मन उबाहो । सुत चारे सच्चूतणा व्ये, लक्ष्मी नो लाहोजी ॥ प्र०३
[ढाल ४ - योगनारो वाल ] फागुण सुदी पांचम दिने रे, पनरे से बतीस ( १५३६ )। जिन चन्द सूरि प्रतिष्ठाया रे, जग नायक जगदीश ॥ प्र०४
ढाल ५ -- देशी वाल] जरत बाहुबल अति जला, जिनजी काउसग्गीया बिलुपास । मरुदेवी माता गज चढ़ी, सिखर मंडप सुप्रकाश ॥ प्र० ५
___ [ ढाल ६ – वेगवती ते बामणो सहनो चाल ] बिहुं नमति विम्बावली, कारणी अति श्रीकारो रे। समोसरण सोहमणी, विहरमान विस्तारो रे ॥ प्र०६
"Aho Shrut Gyanam"