________________
११ वाकदव (१) कलमजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। सं० १२९५-१३०६६ (ई० १२१६-१२५० ) तफ लगभग ३२
वर्ष राज्य किये थे।
१२ करण सिंह (१) चाचकदेव के कनिष्ठ पौत्र थे। सं० १३०६-१३२७ (६० १२५०.--१२०१ )। १३. लहमसेन—करण सिंह के पुत्र थे। सं० १३२७–१३३१ (० १२७१ - १२०५ ) तक राज्य किये। १४ पुण्यपाल-लखनसेन के ज्येष्ठ पुत्र थे। अल्पकाल राज्य भोग के पश्चात् आपका स्वर्गवास हुआ ।
सं० १३३१-१३३२ (१० १२७५-१२७६ ) । १५ जेतसी (जैत्र, जयतसिंह) (१म)-करण सिंह के ज्येष्ठ भाई थे। इनके राजत्वकाल में खिलजी यवनों
द्वारा घों भाक्रमण चलता रहा । ये बड़े योद्धा थे और आठ वर्ष युद्ध के पश्चात् दुर्ग में ही
मर। मंदिरों के का शिलालेखों में इनका नाम मिलता है। सं० १३३२--१३५० ( ई० १२७६ - १२६४ ) । १६ मूलराज (१म-जैतसो के ज्येष्ठ पुत्र थे। यवनों के आक्रमण के समय में इन्हें सिंहासन मिला |
घोड़े काल में हो युद्धक्षेत्र में प्राण विसर्जन किये । लेखों में इनका नाम भी मिलता है ।
सं० १३५० १३५१ (१० १२६४–१२९५)। १७ दूदानी (मशाल)-भाटी उसोड के पुत्र थे। मूलराज की मृत्यु के पश्चात् जैसलमेर यवनों के अधिकार
में हुआ। राठौड़ जगमाल के राज्य पर आक्रमण की तैयारी करने के कारण भाटियों ने दूदाजी को गद्दी पर बैठाया। फिर कई वर्ष तक युद्ध होता रहा पश्चात् ये भी प्राण त्याग किये । लेख
में भी इन का उल्लेख है। सं० १३५१-१३६२ (ई० १२१५–१३०६ )। १८ पड़सी (घट सिंह )- मूलराज के भाई रतनसी के पुत्र थे। ये भी बड़े घोर थे। दूदाजी के मृत्यु के बाद
भी राज्य पर यवनों का अत्याचार चलता रहा और दिल्ली के सिंहासन पर इसी समय मुगलों का भी आक्रमण हुआ था। दिल्ली सम्राट् से अपने राज्य उद्धार की व्यवस्था करके जैसलमेर अधिकार किये थे। लेखों में भी इनका नाम मिलता है और इनके नाम का तालाब भो अब तक विद्यमान
है। ये विश्वासघातकों के द्वारा सं० १३९१ (६० १३३५) में मारे गये। १६ केहर-मूलराज के पौत्र थे। लेखों में इनके पिता देवराज का भी नाम मिलता है। इनका राज्यकाल
लगभग ६० वर्ष है । इन को मंडौर से बुलवा कर राज्यतिलक दिया गया था । लेखों में भी इनके नाम हैं।
* व्यासजी इनकी राज्यप्राप्ति सं० १२०५ और राज्यकाल ३२ वर्ष लिखते हैं मोर है। इस गणना से कुल २४ वर्ष होता है।
की मृत्यु सं० १२६६ बताते
"Aho Shrut Gyanam"