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१ देवराज (महारावल )-भाटी बिजेराव के पुत्र थे। जन्म सं० ८९२ (१०८२६)। अपने राज्य में बहुत से
तालाब खुदवाये और देरावर ( देवगढ़) का किला भी सं0 101 में अपने नाम से बनवाये थे। १३. वर्ष की अवस्था में बलूचों द्वारा सं० १०२२ (ई. १६६ ) में मारे गये । इन के पाल्प.
जोवन की घटनायें विस्मयपूर्ण हैं । २ मंजी (मण्ड, चामुण्ड )-देवराज के पुत्र थे। सं० १०२२-१०६५ (ई० ६६६-१..) । ३ घाजी (बछेर )-मंधजो के पुत्र थे । भारत पर महम्मद गज़नी के आक्रमण के समय आपने इनका सामना
किया था । राज्यकाल सं० १०६५ - ११०० (१० १०६-१०४४) । " दूसाजी (दूसाज)-बछेर के ज्येष्ठ पुत्र थे। सं० ११०० (६० १०४४ ) में राज्याधिकारी हुए थे। ५ विजेराव (लंज-दूसाजी के ३य पुत्र मेवाड़ के सीसोदनी रानी के गर्भजात थे । अहिलपुर पाटन के
सोलंकी धवलराज की कन्या से विवाह किया । राज्यकाल का संवत् मिला नहीं। ६ भोजदेव - जिराव के पुत्र थे। राज्यप्राप्ति के स्वल्पकाल के पश्चात् ही सं० १२१२ ( ई० ११५६ ) में अपने
वितव्य जेसल से मारे गये।
जैसल ( अयशाल )-सं० १२१२ (ई. १९५६ ) में अपने नाम से जैसलमेर नामक दुर्ग बनाया और नगर
दसाया । मृत्यु सं० १२२४ (ई० ११६८ ) । ८ शालिवाहन (१)-जैसल के २ य पुत्र थे। सं० १२२५ ( ई० ११६८) में राज्य मिला। ६ वीजलदेव-शालिवाहन के ज्येष्ठ पुत्र थे । पिता के जीवितकाल में गद्दी पर बैठे परंतु थोड़े ही काल में
मारे गये । राज्यप्राप्ति और इनके पिता के मृत्यु का संवत् मिला नहीं । मृत्यु सं० १२५६
(ई० १२००)। १. केलणजी-जैसल के प्रथम पुत्र थे। सं० १२५६ -१२७५ (३० १२००-१२१६) तक राज्य किये थे।
* जैसलमेर के इतिहास में व्यासजी इनका संवत् १०३५ लिखते हैं। कर्णेल टाड साहेब इस संवत् को भ्रमात्मक और सं० १०५५ या १०६५ होना संभव लिखते हैं। व्यासजो फिर किस आधार पर सं० १०३५ लिखे हैं, स्पष्ट नहीं है । टाड के पश्चात् भो और २ पाश्चात्य विद्वानों के पुस्तकों में इनका ई० १००६ (सं० १०६५ ) मिलता है।
और २ इतिहासों में
. + व्यासजी इनकी राज्यप्राप्ति सं० १२४७ और राज्यकाल २६ वर्षे लिखते है, परन्तु राज्यप्राप्ति सं० १२५६ (ई० १२०० ) और राज्यकाल १६ वर्ष मिलते हैं ।
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