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गजरूपसागर
दादास्थान। शिलालेख ।
[2500 ] * (१) ॥ श्रीमजिनेडो विजयताम् ॥ (२) ॥ संव्वत् १९३१ रा वर्षे शाके १७७६ प्रवर्त्तमाने मा (३) सोत्तममासे माघमासे शुक्लपके नवभ्यां तिथी (४) शनिवासरे महाराजाधिराज महारावलजी श्री (५) वैरीशास्रजी विजयराज्ये श्रीजेशलमेरु नयरे (६) वृहत्खरतर जट्टारक गठे समस्त श्रीसंघेन श्री (७) गजरूपसागर ऊपर श्रीजिनकुशक्षसूरि स (७) गुरुणां स्थंन उतरी पाषुका कारापित श्रीजि (ए) नमहेन्प्रसूरिपट्टालंकार श्रीजिनमूक्तिसूरिभिः (१०) धर्मराज्ये श्रीजिन नप्रसूरिशाखायां पं । प्र । पद्मइंश (११) मुनिः तत्शिष्य उपाध्याय साहिबचन्मगणिः पं । अ
* यह खान जेसलमेर से उत्तर की तरफ दो मील पर है और यह शिलालेख वहां के दादेजी के स्थान का है।
"Aho Shrut Gyanam"