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[ १७६ ] (३) पुत्ररत्न थाहरूकेण नार्या कनकादे पुत्र हरराज मेघराजादियुजा श्री.
चिंतामणि पार्श्वना (४) य बिंबं का० प्र० च युगप्रधान श्री जिनसिंहसूरिसप्रनाकर जा श्री
जिनराजसूरिचिः प्रतिष्ठितं ।
स्तंल पर।
(१) सं० १६५३ मार्गशीर्ष सु (३) वी थाहरूकेण श्रीपा ( ५ ) अनार्या कनकादेवी (७) श्रीजिनराजसूरि
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(२) दिए जणसाली संघ (४) र्श्वनाथ देवगृहस्य वृ (६) पुण्यार्थमकारि प्रण (G) निः॥
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x मंदिर के तोरण स्तंभ पर ६ इंच लम्बा और ७ इंच चौड़ा आठ पंक्तियों का यह लेख है। यह (0. S. No.21 के परिशिष्ट नं0 में छपा है।
"Aho Shrut Gyanam"