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रौप्य गट्टाजी पर |
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॥ बादरमलजी जोगी /दासाथी लूनावत रुपसिया वा० सं० १९३३ जा ॥ कत्तिक सु० १५
{2560]
श्रीपदजी महाराज को चढ़ाई चा साबूदे देदारामजी साणी गांम वैसा - लगवासी श्रीजी चढ़ायो सं० १९५१ रा मिगसर सुदि ३ । सरूपचंद का
[ 2561]
श्री चिंतामण पार्श्वनाथजी रे आगे फाती चढ़ायो कोइ उगवण पावै नही aisaपुरे नवलषोजी रे मंदर में जीदोषी "घरवाओ लबमो चढायो सं० १९२६ पोस सुदिप रोवार
[ 2562]
( १ ) सं० १६७३ मार्गशीर्ष सुदि ए सं० थाहरू क यु
१) तेन जगिनी सजना स्वमातृ चापलदे जरां
(३) बी पाडुकाः ॥ प्र० श्री जिनराज सूरि ... बाहर के चरणों पर |
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|| सं० १७५० मिगसर यदि ए दिने श्री जिनकुशलसूरि पाडुके । कारापिता
। स । दमसी जेराज श्रेयोर्थं
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यह श्वेत पत्राण के चरण मंदिर के बाहर घांये तरफ विराजमान हैं ।
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"Aho Shrut Gyanam"