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बड़ा भंडार।
मूर्ति पर।
[2436] * ॐ संवत् १४७ वर्षे मार्गसिर वदि ३ दिने श्रीसुमतिबिंबं प्रतिष्ठितं श्रीजिनननसुरिनिः कारितं सं० सहसा जार्या मसी श्रेण
__[24371 संवत् १५३५ वर्षे फागुण सुदि ३ रवौ उपकेशवंशे बाजहड़गोत्रे सं० वेगड़ा श्रेयोर्थ देवदत्त पुत्र मंत्री गुणदत्त ना सोमखदे तयोः पुत्रेण धर्मसिंहेन पुण् समरयादि परिवारस० ला पुण्यार्थ श्रीनमिनायविंचं का प्र० खरतर श्रीजिनधर्मसूरिपट्टे श्री (जनचंडसूरिनिः ॥
पट्ट पर।
[2438} सं० १४५३ वैए सु० ३ ऊकेश सा देवदत्त नार्या देवलदे पुत्र सा० नगराज जार्या यशोण रामदे नार्या परमादे पुत्र्या श्राप सापू नाम्ना श्रीशांतिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठितः श्रीसूरिनिः ॥
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यह लेख श्रीसंभवनाथजी के मंदिर के नीचे बड़े भंडार में रखी हुई खंडित पापण की मूर्ति के वरण चौकी पर सुदा हुआ है।
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"Aho Shrut Gyanam"