________________
[१५]
[2122 ] * संवत् १५१७ वर्षे वैशाप मासे धवनपदे १० दिने श्रीजिनचं सूरि ... अत्र प्रतिष्ठित ...... संखवान सा० लाखा पुत्र कुंना नायर्या ......
[2123 ] * संवत् १५१७ पौष वदि ५ दिने ऊकेशवंशे संखवान गोत्रे साए केव्हा नार्यया कबूणदे श्राविकया पुत्रगैत्रासकमानादिपरिवारसहितया श्रीशांतिनाथबिंब का रितं प्रति श्री जिनचंगसूरिनिः श्री कीर्तिरत्नसूरि प्रमुखपरिवारसहिनैः ॥
2124]
संवत् ११४७ वर्षे । श्रोझपनर्विवं ॥ श्रीखरतरगच्छे श्रोजिनशेखर सूरिभिः कारापितं ॥
[2125] संवत् १५१७ वर्षे अहमदावादे कालूपुरवासी प्राग्वाटज्ञाती श्रीसहजा जाए वाजू पुत्र धरणाकेन जाप कुंवरी ज्येष्ठ नात जावड़नाकरप्रमुखकुटुंबयुतेन स्वश्रेयोर्थ श्रोशीतलनाथ बिंब का प्रण तपा श्रीरत्नशेखरसूरिपट्टे गबनायक श्रीलक्ष्मी सागरसूरिभिः ॥ श्रीः ॥
[2126] सं० १५३६ फागुण सुण ३ ऊकेशवंशे परिक्षगांत्रे सा मूला जा अमरी पुत्र सा0 रालाकेण ना हरखू पुत्र मेवादसेलादिपरिवारयुनेन श्रीसुविधिनाविव का प्रण श्रीखरतरगच्छे श्रीजिननप्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंद्रसूरिनिः ॥
2127 ] • ... श्रीसौभाग्यसुंदरसूरिजिः
नसभा मंडप के बांई तरफ पीले पाषाण की कई बड़ी मुत्तियां रक्खी हई है। उनमें से दो मतियों की चरण प्रौको पर के ये लेख है। अक्षर घिस जाने से किसी २ जगह पता नहीं जा सका।
+ यह लेख सफण मूर्ति पर है।
"Aho Shrut Gyanam"