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________________ [११] सहितः । ना सज्जा चार्या सूहवदे पुत्रो धारखदे पुण्यार्थ तत्पुत्री रनूकरजी पुण्यार्थं च श्रीनंदीश्वरपट्टिका कारिता ॥ जिनवराणां शिला श्रीखरतरगळे प्रतिष्ठितर ॥ श्रीजिननासूरिपट्टे श्री जिन चंडसूरिनिः॥ मूर्तियों पर। [2120 ] * ॥ ॐ ॥ संवत् १५३६ वर्षे फागुण सुदि ३ दिने श्रीपत्तननगर वास्तव्य स० धणपति सुश्रावकेन श्रीसुमतिनाबिवं का प्रतिष्ठितं श्रीखरतरगचे श्रीजिनजप्रसूरिपट्टे श्री जिनचंड सूरिनिः ॥ श्रीजेसलमेरमहाऽर्गे श्रीराउल श्रीदेवकर्ण विजयराज्ये । श्रीपार्श्वनाथ विंग चैत्यालये स्थापितः । श्रीउद्योतनसूरि श्रीवर्धमानसूरि श्रीजिनेश्वरसूरि श्रीजिनचंद्रसूरि श्रीअक्षयदेवसूरि श्रीजिनववनसूरि श्रोजिनदत्तसूरि श्रीजिनचंप्रसूरि श्रीजिनपत्तिमुरि श्रोजिनेश्वरसूरि श्रीजिनप्रबोधसूरि श्रीजिनचंद्रसूरि श्रीजिनकुशलसूरि श्रीजिनपद्मसूरि श्रीजिनलब्धिसूरि श्रीजिनचंप्रसूरि श्रीजनोदयसूरि श्रीजिनराजसूरि श्रीजिनचंप्रसूरिपट्टे श्रीजिनचंप्रसूरिनिः श्रीजिनसमुप्रसूरिजिः सहितः प्रतिष्ठितं ॥ ___ [2121] - ॥ ॐ ॥ संवत् १५३६ वर्षे फागुण सुदि ......... पति सुश्रावकेण जा चंपाई पु० गुणराज . . . द... श्रीसुमतिनाथविंबं कारित प्रतिष्ठितं ...... ब धर्मा पु० मं० शिवा ला वरणु पु० मंण् धणा . . . महिपाल प्रमुखपरिवारयुतेन श्रीसुमति ... श्रीजिनसमुन सूरिनिः॥ * रंगमंडप के दाहिने तरफ सर्वधातु की सपरिकर मूर्ति के परिकर पर यह लेख खुदा हुआ है। सर्वधातु की सपरिकर मूर्ति पर यह लेख है। असुविधायें रहने के कारण सम्पूर्ण लेख पढा नहीं जा सका। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009680
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages374
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size20 MB
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