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________________ सिंघा नाण सिंगारदे पु० वींका माजू तान्यां पुत्र पौत्र युतान्यां श्री चन्प्रन बिंबं सा सिंधा पुण्यार्थ कारापितं प्रम श्री देवगुप्त सूरिनिः ॥ [1204] संवत् १५५५ वर्षे वैशाख सुदि ३ शनी ओसवाल ज्ञातीय म० साहेजा ना केव्ही सु० गकुरसीकेन नार्या गिरसू सहितेन आत्मश्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिंब कारितं श्री वृद्धतपापदे जा श्री जिनसुन्दर सूरिनिः प्रतिष्ठितं च विधिना ॥ [1295] संवत् १५५५ वर्षे चैत्र सुदि ११ सोमे उपकेश वंशे मेडतावाल गोत्रे शाण पगारसीह सन्ताने शा० सहसा सु० हा श्रवण नाप सालिगसुतेन श्री अजितनाथ बिंब कारितं प्र० हर्षपुरीय गच्छे नहारक श्री गुणसुन्दर सूरि पट्टे ॥ श्री ॥ ___ [1206] संवत् १५५६ वैशाख सुदि ३ शनौ श्री सएफेर गछे ऊ० बढाला गोत्रे सा लूसा लीला पुण लाला हरा खोजा जार्या तारू पुरा हरालज (?) तू पुण् पु० सु० श्रेण श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्र श्री शान्ति सूरि । [1297] संवत् १५५ए भाषाढ सुदी १० बुधे श्री पहुवम गोत्रे शा० तोला सन्ताने कुंअरपाल पुत्र साधू ..." वेत ना० देवल पु० णए रूपचंद युतेनात्मश्रेयसे श्री कुंथुनाथ बिंबं कारितं प्र वृहाच्छे ज० श्री मेरुप्रन सूरि पढे श्री मुनिदेव सूरिभिः॥ [12981 संवत् १५५ वर्षे माह सुदि १० दिने शनिवारे उपकेशवंशे सखवाल गोत्रे सा गुणदत्त चार्या जंगादे पुत्र सा० धणदत्त नार्या धन श्री पुत्र सा हीरादे परिवारयुतेच श्री शीतल "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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