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________________ [1258] संवत् १५१० वर्षे चैत्र सुदि १३ गु० प्राग्वाट साप गोगन जार्यां सपू पुत्र साजेसाकेन ना० राणी ... नात जामा ना हीरू प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंवं कारापितं प्रति तपागलेश श्री रत्नसागर सूरिनिः ॥ ___[1250] संवत् १५११ वर्षे मार्गशिर सुदि ५ रवौ उपकेश ज्ञातीय शाह आसा ना अहविदे तुप शाह ठाकुरसी ना जानू खहितन पितृ त्रातृ श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ विंबं कारापितं श्री कोरएटग प्रति श्रो सावदेव सूरिभिः । [1260] संवत् १५१५ मार्ग शुदि १५ . वारे प्राग्बाट श्रेष्टि गोधा जा फसी सुत नरदे सहसा माटा नाय धीराकेन ना तारू सुन खीमादिकुटुम्बयुतेन निजश्रेयसे श्री आदिनाथ बिषं का प्रण तपा श्री सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिभिः । [1261] संवत् १५१५ माघ विदि ७ बुधे उपकेश ज्ञातो आदित्यनाग गोत्रे साग तेजा पुत्र सुहमा जा० सोना पु सादावचा हंसा पासादेवादिनिः पित्रोः श्रेयसे श्री सुमतिनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं उपकेश गछे ककुदाचार्य सन्ताने श्रीकक सूरिनिः। [12621 संवत् १५१५ वर्षे फाल्गुन सुदि ए शनौ श्री श्रीमाल झातीय व्यय तरसी सुत काला सुतवईमान सुत दोण बालाकेन ना कूवरि सुत सा अरण प्रमुखकुटुम्बयुतेन स्वज्रातृ जयारामी तो श्रेयोर्थ श्री सुमतिनाथ बिवं कारितं प्रतिष्ठितं तपागडे श्री श्री रत्नशेखर "Aho Shrut Gyanam
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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