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________________ ( १ ) धातु के यंत्र पर। [1210] संवत् १७५२ वर्षे पोष सुदि ४ दिने सिहचक यंत्रमिदं प्रतिष्ठितं वा० लालचन्द्र गणिना कारितं सवाई जयनगरमध्ये समस्त श्रीसंघेन वृहत् परतरगन्छे । शुत्नमस्तु । श्री पार्श्वनाथजी का मन्दिर–श्रीमानोंका महला । पञ्चतीर्थियों पर। [ 1220] सं० १४६५ वर्षे वैशाष सुदि ३ सापुता गोत्रे सा वेला नार्या स० वोहणदे पुण् साधु पिमराज पेमाच्यां पितृ मातृ श्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंबं कारितं ॥ प्र श्री धर्मघोषगडे श्री सोमचन्द्र सूरि पट्टे श्रीमलचन्द्र सूरिभिः ।। [ 1221 ] सं० १५११ वर्षे माघ शु० ५ गुरू श्री श्रीमाल झातीय श्रेण मकुणसी नार्या नाऊ सुत कीयाकेन पितृमातृनिमित्तं श्रात्मश्रेयोर्थ श्री आदिनाथ बिवं कारितं प्र श्रीब्रह्माणगछे श्री मुनिचन्द्र सूरिनिः मेहूणा वास्तव्य । श्री। [ 12221 संवत् १५३० वर्षे पोष वदि ६ रवी श्री श्रीमाल झा मंत्रि समधर जाप श्रीयादे सुत बीकाकेन श्रात्मश्रेयो) श्री विमलनाथ विंबं कारापितं प्रतिष्ठितं श्री पिप्पलगने श्री गुणदेव सूरि पढे श्री चन्प्रन सूरिनिः राजपामे । {12231 सं० १५३१ वर्षे वै० शु० १० सोमे उसवंशे खोढा गोत्रे सा० चाहड़ ना देह सुख "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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