SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४ ) [1214] ॥ संवत् १६२० वर्षे फागुन शुदि ७ बुधे कुमरगिरि वासि प्राग्वाट झातीय वृद्ध शाखायां अंबाई गोत्रे व्यवहाण खीमा नाम कनकादि पुत्र व्य० गकरसी नाम सोनागदे पुत्र देवर्ण परिवारयुतेन स्वश्रेयोर्य श्री धर्मनाथ विवं कारितं । प्रतिष्ठितं श्री वृहत्तपागछे श्री पूज्याराध्य श्री विजयदान सूरि पट्टे श्री पूज्य श्री श्री श्री हीरविजय सूरिनिः श्राचंजार्क नन्द्यात् श्रीः ॥ [1215] संवत् १६३७ वर्षे माघ शुदि १३ सोमे श्रीस्तम्नतीर्थ वास्तव्य श्री श्रीमाल ज्ञातीय साय वस्ता ना० विमलादे सुत सा थावरवठी .... आ श्री शान्तिनाथ विंबं कारापितं श्रीमत्तपागछे जट्टारक श्री हीरविजय सूरिभिः प्रतिष्ठितं शुभं भवतु ॥ धातु की चौवीशी पर। [1216] संवत् १५६५ वर्षे वैशाष शुदि ए शुक्र श्री बायड़ा ज्ञातीय म मांण्यक ना गोमति स वेवाकेन जा वनादे सु० खहूंथा लामण लहूंआ ना लालू सकुटुम्ब श्रेयोर्थ श्री आदिनाथ चतुर्विशति पहः कारापितं श्री आगमग श्री सोमरत्न सूरि प्रतिष्ठितं विधिना ओरस्तु। धातु की मूर्तियों पर। [ 1217] सं० १७१० ज्येष्ठ सुदि ६ सा० कपूरचन्द । चन्प्र न न । तपागचे प्रतिष्ठितं । [1218] सं० १७२७ वर्षे ॥ घाइ । सावर । शेन । श्री रुषजनाथ विंबं श्री तपागछे । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy