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[1086] सं० १५०ए वैण् शु० ३ प्राग्वाट व्य० मेघा नार्या हीरादे पुत्र व्या आसा मामा नाग कैलू आव्हा पुत्र शिखरादि कुटुम्ब युतान्यां स्वश्रेयार्थ श्री युगादि वि० का प्र० तपा श्रो सोमसुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेषर सूरिभिः ॥
[1006] ___ सं० १५१० वर्षे वैशाष वदि ५ सोमे गिरिपुर वास्तव्य हुंवड़ शाति डेमिक गोयद (?) जाण वारू सु० जाला ना हीसू सुर आसाकेन ना0 रूपी युतेन स्व० श्री सुविधिनाथ वि० का श्री वृ तपापक्ष श्री रत्नसिंह सूरिभिः प्रतिष्ठितं ॥
[ 1087] ___ सं० १५११ वर्षे माह वदि ६ गूर दिने उप० ज्ञा० चलद (?) गोत्रे सा बाड़ा नाण सहवादे सा० जाड़ा नाग जसमादे ... सहितया स्वश्रेयसे श्री धर्मनाथ बिंब का प्रण श्री ना रामसेनीया अटकरा० श्री मलयचन्द्र सूरिनिः ॥
[1088] ॥ सं० १५१३ वा चै सुष ६ गुरौ उपकेश वं० ताल गो० सा महिगज पु० साप कादहा जा० कलसिरि सु० धना ना धरण श्री पुरा चोषा युग श्री शितलनाथ विंबं का प्र० धर्मघोष गण श्री साधुरत्न सूरिनिः ॥
[1080] ॥ सं० १५१३ पौष शुदि ७ ककेश वंशे विमल गोत्रे संग नरसिंहांगज सा काफणेन श्री कुंथु बिंबं का प्रण ब्रह्माणी उदयप्रन सूरि तपा नट्टारक श्री पूर्णचन्म सूरि पट्टे हेम हंस सूरिनिः॥
[1000] ॥ सं० १५१५ वर्षे जे० सुदि ५ उपकेस झाप जोजा उरा सा० वीदा जा वारू पुत्र गांगा हुदाकेन पूर्वज निमित्तं श्री कुंथनाथ विंचं का० प्र० श्री चैत्रगन्छे जा श्री रामदेव सूरिनिः॥
"Aho Shrut Gyanam"