SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १६ ) [ 1078] सं० १४९६ वर्षे फागुण वदि २ शुके ढुंवड़ ज्ञातीय ३० देपाल ना सोहग पु० ३० राणाकेन मातृपितृ श्रेयसे श्री वासुपूज्य बिंबं कारितं प्रतिष्टितं निहतिगडे श्री सूरिचिः॥ [1070] सं० १५५१ वर्षे फागुण सुदि १३ गुरौ सुराणा गोत्रे सा० सोनपाल जाप तिहुणी पुण घिणराजेन गुणराज दशरथ सहसकिरण समन्वितेन स्वश्रेयसे श्री सुमतिनाथ विवं कारितं प्रा श्री धर्मघोष गच्छे न० श्री पद्मशेषर सूरि पा जा श्री विजयचन्छ सूरिनिः॥ [1080] सं० १५०३ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ११ शुक्रे दहदहड़ा ...... श्री अरुनाथ विंबं का प्रा राम सेनीया वरफे (?) श्री धर्मचन्द्र सूरि पट्टे श्री मलयचन्द सूरिभिः । [1081] सं० १५०५ वर्षे वैशाष सुन्६ सोमे श्री संडेरगछे जा झा वासुत गोत्रे सा गांगण पु० पैरु पुत्र बुलाकेन सा गोगी पुत्र बाड़ा कुंना सहितेन वपुण्यार्थं श्री शान्तिनाथ बिंब का प्र० श्री ! [1082] सं० १५७६ मा सुरु ७ दिने श्री उपकेशज्ञातौ सिरहठ गोत्रे सा० सहदेव जा० सुहवदे पुष सालिगेन पित्रो निमित्तं श्री कुंथुनाथ बिं का प्रतिण श्री सर्व सूरिधिः ॥ [1083.] सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठ सु० १० उप चिपड़ गोत्रे साप रावा ना० जेठी पु० देगाकेन मातृपितृ पुण्या० श्रात्म श्रेण श्री शान्तिनाथ विंबं का उपकेश गले० प्रति श्री कक्क सूरिनिः। [1084] सं० १५०७ वर्षे ज्येष्ठ शु० १३ बुधे प्राग्वाट झातीय श्रेण सोमा जा० धरमिणि सुत मालाकेन लाला जाप गेलू राजू युतेन स्वश्रेयो) श्री वर्द्धमान बिंब कारितं प्रा तपा श्री सोम सुन्दर सूरि शिष्य श्री रत्नशेषर सूरिनिः॥ कूलिगिरि वास्तव्य ॥ "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy