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[2082] संग १४ फागण सुदि १२ गुरौ कोरंटवाल गळे उपकेश ज्ञातीय संखबालेय गोत्रे नपसी पुण् जाणाकेन श्रेयने श्री धर्मनाथ बिंब कारित प्रतिष्ठितं सांबदेव सूरिनिः ॥
2083] सं० १४९३ वर्षे माघ सुदि १३ उपकेश ज्ञातीय म मांडण ना सिरियांदे पु० काजा. कम भार्या जल्ली सहितन यात्मश्रेयसे श्री नमिनाथ विवं कारितं प्रतिष्ठितं जट्टारक श्री धनप्रन सूरिजिः ॥
2084] संवत् १५१३ वर्षे फागुण वदि ११ नागें गछे उपकेश झातीय कोठारी ... मा लक्ष्मी पु० मेघा ना हीरु पु नेरा डंगर तोहा युतेन श्री श्रारमपुण्या श्री वासुपूज्य विवं कारितं प्रतिष्टितं विनयप्रत सूरिनिः ॥
'[2085] सं० १५१७ वर्षे वैशाष वदि शुक्र श्री श्रीमान श्रेष्टी नामा ना साही घुछ गोदहा मा० आलि पु० पहिराज कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ विवं कारित पूर्णिमापके पुएबरत्न सूरीणां प्रतिष्ठितं बाराही नामे ॥
2086] सं० १५१७ वर्षे माघ पदि ५ प्रवाट ज्ञातोय व्यव० कोहाकेन भार्या कामल दे चुत नादहा हीदा युतेन धर्मनाथ विवं कारितं कडोलीबाल गछे पूर्णिमापके गुणसागर सूरितिः ॥
[2087] सं० १५७६ आसाढ सुदि ए वो उपकेशज्ञातीय नाग़ गोत्ने साह मोजा ना नावल दे 'पुणे मांडण आम्हा जेसा सहितेन माडण जाप माणक दे पुण् रंगा युतेन आत्मपुण्यार्थे संजनाथ बिंब कारितं प्रतिष्ठितं नाणांवाल गले नट्टारक नी . . . . .।
"Aho Shrut Gyanam"