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________________ ( २७१ ) [ 2062 ] 3 || सं० २०६१ वर्षे मि । माघ सु । ५ दिने । जं युग प्र० १००० दादा साहेब श्री जिनकुशल सूरि पाडुका । व्यारकबांण । [2063] श्री जिनकुशल सूरि चरणकमल पाडुकेल्यो नमः ॥ शुन संवत् १९६४ वैशाख धवल १० गुरुवासरे प्रतिष्ठितम् ॥ LEUCH ta मद्रास । * स्वामी का मंदिर - शूला बजार । मूल मंदिर का लेख । [ 2064] ( १ ) ॥ संवत् १९५२ रा शाके १०१७ मासोत्तममासे ज्येष्ट मासे शुक्ल पक्ष तिथि दशम्या रविवारे शूलाग्रामस्थः मालू गोत्रे सा० । कालू ( २ ) राम रतनचंद खरतरगणोपासकेन कारापित जिनजवने चंद्रप्रभु बिंबं स्थापितं खरतर छे 'मकीर्ति शाखायां विद्वग्रामचंद्रगणि ( ३ ) तविष्य पं प्र । उदयचंद्रगणिः तच्चरणांतेवासी उपाध्याय नेमिचंद्रेण प्रतिष्ठिर्त जिनजवनं स्थापितं बिंबं च पं० । श्यामलाल साकम् मूलनायक जी पर । [ 2065] कारितं श्री संघेन H संवत् १७६० वैशाष सुदि ६ .. .. * यहां के लेख वर्गीय पं० बालचंद्रजी यति से मिले थे । "Aho Shrut Gyanam" I
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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