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[1930] सं० १५३....। 40 वैशाख सुदि ३ शनो श्री संडेर गछे उ० टप गोत्रे देव्हा जा दम्हण दे गोरा ना मल्हा दे पु० दहा जा करा ना० थानूण दे पु० तोला श्रेण पूर्वज पुन्यार्थ वासुपूज्य बिंचं का...।
[1040] ॥ संवत् १५३५ वर्षे वैशाख सुदि ६ सोमे ऊकेश वंशे जाजा गोत्रे सा धर्मा ना० धर्मा दे पुत्र साय काजा सुश्रावकेण लाए जोजा प्रमुख परिवार सहितेन श्री श्रेयांस किंवं का प्रण खरतर गछे श्री जिनन सूरि पट्टे श्री जिनचं सूरिनिः॥
__ [1041] संवत् १५३० वर्षे ज्येष्ठ सु . . . . . . माला जाप माला दे सुत केव्हा ना० सिवा सुन पोचकेन स्वश्रेयसे श्री पद्मपन बिंबं कारित प्रण तपा श्री सोमसुंदर शिष्य श्री जयचं सूरि शिष्य श्री रत्नशेखर सूरिनिः ॥ श्री॥
[1042] संवत् १६३७ वर्षे वैशाख सुदि १३ रखो श्री स्तम्लतार्थ वास्तव्य श्री नागर ज्ञातीय सा पना चार्या कीखादे सुत सा होसा नार्या वा । हांसलदे नाम्ना श्री आदिनाथ पंचतीर्थी करापितं । श्रीमत्तपा गछे नवारक प्रजु श्री हीर विजय सूरिनिः प्रतिष्ठितं । शुज नवतु॥
[1043] ॥ संवत् १६०५ वर्षे वैशाख सुदि ७ गुरुवासरे ...... वास्तव्य उकेश ज्ञातीय दण् साइ यांहसा ना प्रजा सुता नोया...... सुत हेमा कुटुंबयुतेन स्वश्रेयसे श्री मुनि.... तपा गछे ज० श्री हीरविजय सूरि नए श्री विजयदेव सूरिश्वर.......।
[1044] संवत् १७ माघ सु० ५ गुरुदिने आचार्य श्री केमकीर्तीः तत्पढे श्री हेमकीर्ति देवाः
"Aho Shrut Gyanam'