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[1026] संवत् १३५१ मा० सुण १५ खरतर गठीय श्री जिन कुशल सूरि शिष्यैः श्री जिन पन सूरिभिः श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा प्रतिष्ठिता कारिता च मवा बाहेि सुतन रमसिंहन पुत्र श्राव्हादि परिवृतेन स्वपितृ सर्व पितृव्य पुन्यार्थ ।
[1927]
सं० १४०० ० सु० ५ प्रा० रोस्तरा पदम । साहम साकल श्रेण देवसीदेन का प्रति सिकान्तिक श्री माणचन्छ सूरि ।
[1928] सं० १४२२ व ज्येव सु० ११ बुधे......मंडलिक नाव माम्हण दे सुत धाणाश्रेयो व्य पानाकेन श्री संभवनाथ बिंब काय... तपा गछे श्री रत्नशेखर सूरीणामुपदेशेन .....
[1920] सं० १४३ए माह वदि । श्रीमाल झाप व्यवण राणासीह ना लक्षती पुत्र वयरा केन श्री सुमतिनाथ बिंबं का श्री विजयसेन सूरि पट्टे....
[1980] सं० १४७१ वर्षे माघ सुदि . . . . . . श्री मुनिसुव्रत विंबं का प्र० कोलीवाल गहे श्री संघतिलक सूरि ....
[1981] संप १४०२ वर्षे .... साहलेचा गोत्रे सा हांपा .... ना गयणल दे पुत्र साक्षींबा जा वीरणी पुत्र परहयेन पितृ मातृ श्रेयसे श्री श्रेयांस विं का० प्र० श्री पलीकीय गर्छ श्री यशोदेव सूरिभिः।
[1032] श्री सं० १४ए१ वर्षे माघ सुदि ५ बुधे श्रीमाल वंशे वहगटा गोत्रे सा ऊदा पुत्र साम् जगकेन श्रासा जूसा सहसादि पुत्रयुतेन पुन्यार्थ श्री नमिनाथ त्रिचं कारिनं प्रतिष्ठिन श्री खरतर गडे श्री जिनसागर सूरिनिः ।
"Aho Shrut Gyanam"