________________
(३४)
[1014] ॥ संवत् १५४१ वर्षे वैशाख मासे नागर झाती श्रेण केव्हा ना मानूं सुत चांगा माझ्याकेन सुत हरखा नांगा बाला सहितेन श्रात्मश्रेयोर्थ श्री संनवनाथ बिंब का प्र० वृरू तपापके नए श्री जिनरत्न सूरिभिः ॥
[1915] ॥ संवत् १५०७ वर्षे माघ सुदि गुरौ उपकेश ज्ञा सा० हापा पु० बिजा ना बइ. जस दे पु० गकुर रीडा गकुर जा० अब्बा दे पुत्र कुंरपास युतेन आत्मश्रेण पित्रोः पु० श्री शीतलनाथ बिंवं का० प्र० श्री वृ० को श्री मलयहंस सूरिभिः ॥ कश्चलि वास्तव्य ॥ रंगमंडप के वांये तर्फ थाले के नीचे का शिलालेख ।
[1010] (१)॥ ओ॥ संवत् १३३४ वर्षे वैशाख सुदि ११ शुक्र श्री श्रांचल गछे । प्राग्वाट ज्ञातीय
महं साजण महं तेजा .... सा जांजणेन निज मातृ (२)...... कपूर देवी श्रेयोर्थ रवनक (१) श्री शांतिनाथ विंबं काराप्ति ॥ संताने महं
मंडक्षिक महं माला महं देवसीद महं प्रमत्तसीह ..... सनाममप में दरवाजे के दाहिने स्तंन पर।
[1917] ॥ ओ ॥ संवत् १४६६ वर्षे चेत्र सुदि १३ सुविहित शत शेषका प्रा रत्नशेखर सरि पट्टांबुधि पूर्णचंग श्री पूर्णचं सूरि गुरुकम कमलहंसाः श्री हे परिकरा करः...
सनामंगप के ३ मऊ के स्त्र,
[1911 श्री जिनसागर सूरि उदयशीमा गति का
गणि मेरुपमा मुनि श्री ......
"Aho Shrut Gyanam"