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________________ (११) पटना। शहर मंदिर। संशोधित पाठ। [323] ॥ संवत १५ वर्षे वेताप शु'द ३ मुनसंघे जहारक जो श्री जिन चन्म देवा साद जीव राज पापडियाप्त नित्य प्रणमात सर ममासा श्री राजा सिरसिंघ जी रावन ....। [324] संवत १५४३ वर्षे बताष सुदि ३ मुनसंघ नबारक श्री जिन 5 देवा सा० जिवराज पाडिवाल सहर मंमासा श्री राजा सिवसंघजी रावल . . . . । दिगंबरी मंदिर-घीया तमोक्षी गली, सिटी। श्वेत पाषाण की मूर्ति पर। [1850] ॥ संघ १४ वर्षे फागुण वदि १ श्री संडेर गळे उप साह केव्हा नार्या कस्तुरी पुत्र श्री देपाल जाप देवन दे पुत्र मोकन सहितेन श्री शीतल बियं का प्र० श्री शांति सूरिनिः॥ - पटना-म्युजियम। संशोधित पाठ। [555] सम्वत् । १७७४ । वर्षे शाके १७३ए । प्रवर्तमाने । शुन ज्येष्ठमासे कृष्णपक्ष पंचम्यां नियो । सोमदिने श्री व्यवहार गिरि शिवरे श्रो॥ शांति जिन चरणान्प्रतिष्ठितं न । श्र! (जनहर्ष सूरिजः। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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