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[242] 'सुस्यासचंदस्य पत्नी के स्थान में 'खुस्थानचंदस्य पीपामा मात्रस्य पत्नी दाना चाहिये । यह टोख विपुल गिरि के मंदिर में है।
[2441 'सा श्री हकु-' के स्थान में ‘सा । श्री हनुगतराय-होना चाहिये।
[258] 'देवराज सं० षीमराज' के स्थान में 'देवराज पुत्र संग पीमराज' होना चाहिये ।
संशोधित पाठ।
[257] ॥ आँ सं० १५२४ आपाह सुदि १३ खरतर गणेश श्री जिनचंद्रसूरि विजयगज्ये. तदादेश .... श्री कमन्नसंघमोपाध्यायैः स्वगुरु श्री जिनन सूरि पाउके प्रv का श्रीमान वं0 जीपू पुत्र वा बीतमल श्रावकेण श्री वैजार गिरो मुनि मेरुणा लिप ॥
यह चरण गांव के मंदिरमें है।
[258] ॥ सं० १५२४ श्राषाढ सुदि १३ श्री जिनचंद्र सूरीणामादेशेन श्री कमवसंघमापाध्यायः धनाशालिजममूर्ति ॥ प्र० का 10 बीतमल श्रावकेण ।
[288] "पत्नी महाकुमा--तस्या" के स्थान में “पत्नी महाकुमार्या तस्या” होना चाहिये।
"Aho Shrut Gyanam"