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(१५) श्री राजगृह ।
गांव मंदिर। पंचतीर्थी पर।
[1843] संवत् १५१५ वर्षे वैशाष सुदि १३ उकेश सा० जादा नार्या जरमादे पुत्र सा नायक जार्या नायक दे फदेकू पुत्र साप अदाकेन ना सोनाई जात सा जोगादि कुटुंवयुतेन श्री सुमति नाथ बिबं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ वढली वास्तव्यः॥ श्री॥
धातु की मूर्ति पर।
[ 1844]. सं० १९५० । म । का। कृक्ष । बुधे उगड़ प्रतापसिंह लायी महताब कंवर श्री संती नाथ जिन बिवं का ॥
सफण मूर्ति पर ।
[ 18451 संवत् १६२ आषाड वदि । मित्रवाल वंशी घी (वी) सेरवार गोत्रीय सं० गनपति पु० स० तारात पुत्र हेमराज पार्श्वनाथ बिंब कारापितं प्रतिष्ठितं खरतर गछे जिनना सूरिलिः ॥ शुजमस्तु ॥
श्याम पाषाण की मूर्ति पर .
[1846] (१) ॥ संवत् १५०४ वर्षे फागण सुदि ए महतीयाण वंशे उस देवसी पुत्र सं० जेलू
षड्नी लखाई नार्या बेपी। श्री शांति
"Aho Shrut Gyanam"