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(११) ६। त० सोनी जयपाल नार्या मृगाई ॥ ततः ॥ सोनी सायर नार्या बाई वाकू सुत सोनी
मना नार्या बाई ७। बरजू सुत सोनी श्रीवंत सोनी जयवंती। सपरिजनसहितेन ॥ सोनी समरसिंह
नार्या वाई पाही. ७। सहितेन ॥ एतै श्री चारवाड पुरै चर (?) ॥ निजजोपार्जितधन कृतार्थहेतोः ॥ श्री
चिंतामणि पार्श्वनाए। थ चैत्यं कारापितं ॥ श्री वृछतागछे नहारक श्री जयचन्छ सूरि पट्टावतंस ॥ जट्टा०
श्री जिन१० । सूरि शिष्य महोपाध्याय श्री जयसुन्दर गणि शिष्य महोपाध्याय श्री संवेगसुन्दर
गुरूपदेशेन ॥ प्र. ११ । तिष्टितं चेति कल्याणमस्तु ॥ शुलं नवतु ॥ →
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घोघा-काठियावाड़।
श्री सुविधिनायजी का मन्दिर। .. पंचतीधियों पर ।
[1767] ॥ सं० ११६१ माघ ११ श्री नागेअकुले श्री विजय तुंगसूरि.... ।
[ 17881 सं० १५०३ धर्मप्रन सूरि त० पट्टे श्री धर्मशेखर सूरिभिः शुभं भवतु आराधकस्य ।
[1789] सं० १५१७ वर्षे महा सुदि ५ शुक्र श्रेष्टि नरमान जाए कई नेषां सुना सामन हेमा
"Aho Shrut Gyanam"