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(१४) सिहोर-काठियावाड़। श्री सुपार्श्वनाथजी का मंदिर। पतीर्थियों पर।
[1735] सं० १४७० वर्षे वैशाष सुदि १२ शुक्र प्राग्वाट ज्ञाण में रत्ना नाए रजाई पु० सं० सहस्सकिरण सार्या धरणू सुत तजदे कुटुंबयुतेन श्री कुंथुनाथ विंचं कारितं प्रतिष्ठित श्री हेमविमल सूरिभिः । पसासर वास्तव्य ॥
[17801 सं० १५१६ वर्षे चैत्र वदि १ रखो श्री श्रीमाठ झातीय ३० तयरा जाण वाबू सुत माणा वड़ीय गोवल नाय हांसू सुए वीरा नाय बांऊसदे सुत मालु काएहु वानर एने जिनपितृमात श्रेयोर्य श्री श्रेयांसनाथ विंबं कारितं प्रतिष्ठितं मधुकर गछे जप ""।
[1737] सं० १५३६ वर्षे पोष दि ...' गुरू श्री श्रीमाल ज्ञा श्रेण टोझ्या नाम लखा सुन पर्वत प्रातृ कमि श्रेयोर्य जीवितस्वामी श्री नमिनाथ विवं कारितं श्री आगमगचे श्री श्री सिंघदत्त सूरिनिः प्रतिष्ठितं विधिना कारितानि ।
पालिताना। श्री सुमतिनाथजी का मन्दिर माधोलासजी की धर्मशाखा ।
धातु की मूर्तियों पर।
[1738] संवत् १५५५ वर्षे माह शुदि १५ शुक्रे पाणंदरिम सूरि बाप चन्दा जाप माइवजी भीवजदेव (?) ...॥
"Aho Shrut Gyanam"