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( १७३ ) चौविशी पर।
[ 1731] सं० १४ वर्षे आषा० शुक्ल ५ दिने प्रग्वाट ज्ञातीय मंत्रि बाहड़ सुत सिंघा ना० पूजल सुत बमुथाकेल जाप कपूरीयुतेन निजश्रेयो) श्री शांतिनाथ मूवनायक चतुविंशति पट्टः का प्रश्रो तपागक्षाधिष श्री सोमसुन्दर सूरि निः।
[1732] ॥ सं० १५०४ वर्षे फागुण सुदि ए सोमे प्राग्वाट ज्ञातीय श्रेष्ठि राणा संताने श्रेण रत्ना जा धरण सुत पूर्णसिंहन जार्या देमाई सहितेन तथा बात हरिदास स्वपुष पासवीर युतन श्री अजितनाथ विवं चतुर्विशति पट्टः कारितः प्र श्री साधुपूर्णिमापदे न श्री रामचन्द्र सूरि पट्टे शिष्य पूज्य श्री श्री पूर्णचन्द्र सूरीणानुपदेशेन विधिना नारु श्राव।
[17331
सं० १५० वर्षे शाप वदि ११ दिने उपकेश झा० डागक्षिक गोधे। सात् धिना जात बार पुत्र संघवी पालवीरेण जाग संपूरदे सहितेन स्वश्रेयसे श्री संजयादि ती प्रकृचतवि. शति पहः का प्र श्री कोस्टगछे श्रीनन्नाचार्य संताने श्री ककसूरि पटे श्री सारदेव सूरिनिः॥ श्रीः ।
नन्दीश्वरजीप की देहरी पर।
[1784] सं० १७७० महा सुदि ५ शुरु श्री विजयजिनेन्द सूरिजो नन्दीश्वरकोप विप्रवेश प्रतिष्ठित श्रीमतगडे श्री गाम बड़नगर दोध पानचन्द जयचन्द स्थापित ।
"Aho Shrut Gyanam"