SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लछवाड़ा धातु की मूर्ति पर। { 16001 ॥ सं० १२० मि फाल्गुन कृण ५ बुधे मारू गो० केसरीचंद नार्या किसन विवि वीर जिन बिंध का । जं । यु । छ । श्री जिनहंस सूरि राज्ये उ । सं। ग। च । प्रतिः । पंचतीर्थयों पर। [ 1700] सं० १५१३ । वै० मुदि ५ गुरौ श्री हुरड़ ज्ञातीय फडो शिवराज सुन महीया श्रेयसे जात हीयकेन व्रातृज कुसूया युतेन श्री शांतिनाथ विंबं कारितं प्रति वृहत्तपा पक्ष श्री श्री रत्नसिंह सूरिभिः । [1701] सं० १९५० फा० कृ० २ बुधे प्रतापसिंह इगड़ गोत्रे नार्या महताब कुंवर श्री सुमति जिन पंचतीर्थी का न । सदालान गपिना श्री जिनहंस सूरि राज्ये । यंत्र पर। [ 1702] सं० १९३३ ज्येष्ट शुक्ल १५ शनिवासरे श्री नवपद यंत्र कारितं ओस वंशे झूगड गोत्रे श्री प्रतापसिंह तरपुत्र रायबहादुर धनपत्सिंहेन कारितं प्रतिष्ठित विजयगळे ज० श्री शांति. सागर सूरिभिः। [1703] सं० १९३३ का ज्येष्ठ शुक्ल १५ छादश्यां शनिवासरे नवपद यंत्र.......का मकसूदावाद वास्तव्य उस वंशे झूगड गोत्रे बाबू प्रताप सिंह तत्पुत्र राय बहादुर सबमीपतसिंद रायबहादुर धनपतसिंह ने कारितं विजय गो श्री शांतिसागर सूरिजिः प्रतिष्ठितं ॥ श्री। "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy