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( ११ ) बिहार वास्तव्य महतीयाण श्री संवेन कारितः तत् प्रतिष्ठा च श्री बृहत् खरतर गन्नाधीश्वर युगप्रधान श्री ।
(१८) जिनसिंह सूरि प्रजाकर युगप्रधान श्री जिनराज सूरि विजयमान गुरुराजानामादेशन कृत ।
(१९) पूर्वदेश विहारे युगप्रधान श्री जिनचन्द्र सूरि शिष्य श्री समयराजोपाध्याय शिष्य
वा० अजयसुन्दर ग
( २० ) णि विनेय श्री कमललाजोपाध्यायैः शिष्य पं० लब्धकीर्त्ति गणि पं० राजदंस गणि देवविजय ग.
(२१) पि थिरकुमार चरणकुमार मेघकुमार जीवराज सांकर जसवन्त महाजवादि शिष्य सन्ततिः सपरिवायैौ । श्रीः ।
क्षत्रियकुण्ड । *
पंचतीर्थी पर |
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संवत् १८५३ वर्षे माह सुदि ५ दिने । बारडेचा गोत्रे सा० कोदा जा० सोनी पु० साद सीहा सहजा सीहा जा० हीरू श्रेयले श्री कुंथुनाथ विनं कारितं प्र० श्री कोटगले श्री नन्न सूरिजिः ॥
*' लछवाड़' ग्रामसे १ कोस दक्षिण में छोटे पहाड़ पर यह स्थान है। श्वेताम्बर सम्प्रदाय वाले २४ वें तीर्थकर श्री महावीर स्वामी के पवन, अन्न और दीक्षा ३ कल्याणक इसी स्थान में मानते हैं। वहां के लोग इसको 'जलम थान' कहकर पुकारते हैं। पहाड़ के तलहटी में २ छोटे मन्दिर हैं। उन में श्री वीर प्रभु की श्याम वर्ण के पाषाण की मूर्तियां है। पहाड़ पर मन्दिर में भी म पाकी है और मन्दिर के पास एक प्राचीन कुएड का विह वर्तमान है।
"Aho Shrut Gyanam"