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(१५० ) जं । यु । प्र। वृहखरतर जट्टारकेंदु श्री जिनमुक्ति सूरि जिनामादेशात्मंडलाचार्य श्री विवेककीर्ति गणिना कारितं । श्री संघस्य श्रेयोर्थमयोध्यायाम् ॥ शुजम् ॥१॥
नोर- असेही लेख और (१)॥ श्री महायमूर्तिः ॥ २॥ (२)॥ श्री यवनायक मूर्तिः ॥ ४ ॥ (३)॥ श्री तुंबुरुयक्षमूर्तिः ॥५॥ (४) ॥ श्री पातालयद मूर्तिः ॥ १४ ॥ (५) ॥श्री अजितबला देवी ॥ १॥ (६)॥ श्री कालिदेवी मृतिः ॥ ४ ॥ (७) ॥ श्री अंकुशदेवी मूर्तिः ॥ १४ ये सात मूर्तियों पर हैं।
नवराई। मवराई फैजाबाद से १० मैल और सोहावस स्टेशन से अंदाज मैख पर एक मेटा गांव है। यही प्राचीन तीर्थ 'रत्न पुर) है। यहां १५ वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथस्वामी का व्यवन, जन्म. दीक्षा और केवलज्ञान ये ४ कट्याणक हुवे हैं।
पंचतीर्थयों पर
[ 1651 मंवत् १५१५ वर्षे माह शुदि ५ सामे वाडिज वास्तव्य चावसार जयसिंह नाय फाली पु० पोचा जाम् जासी पु० सीबा तरयण साह उमाटु पोचाकेन । श्री सुविधिनाथ विवं कारापितं श्री विवंदणीक गठे श्री सिद्धाचार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री सिद्ध सूरिजिः ।
[ 16501 सं० १५६७ वर्षे वेशाप सु० १० बु० श्री उपकेश ज्ञातौ सं० साहिल सु० सं० हासा जाय बाजी नाम्न्या स्वपुण्यार्थ श्री पार्श्वनाथ बिंघं कारितं प्रतिष्ठितं श्री उपकेश गले ककुदाचार्य सं० नए श्री सिक सूरिनिः
"Aho Shrut Gyanam"