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________________ (१४ ) [1853] ॥ सं० १७७७ रा धराकायां खरतर गणीय पाठक हीरधोपदेशेन अयोध्यायां श्री अजिताजिनंदन सुमत्यनंतनाथानां चरणन्यासः कारितः जयनगर वासिना । ओसवाल सेठ गोत्रीय हुकुमचंद सुतेन । उदयचंदेन प्रतिष्ठितः खरतर जट्टारक गणेश श्री जिनहर्ष सूरिणा। [1664] ॥ सं० १७७४ रा धराकायां खरतरगणेश श्री जिनलाल सूरि शिष्य पाठक हारधर्मोपदेशेन । अयोध्यायां श्री नानि १ जितशत्रु ५ संवर ४ मेघ ५ सिंहसेन १४ जानामाहता कमन्यासः काग्निः जयनगरस्थेन ओसवाल सेव हुकुमचंद सुतेन । उदयचंदेन प्रतिष्ठितः श्री जिनहर्ष सूरिणा। [1655] ॥ सं० १७७ रा धराकायां श्री जिनलाल सूरि शिष्योपाध्याय हीरधर्मोपदेशेन जयनगरस्थेन ओसवाल सेठ हुकुमचंद सुतेन । जदयचंदेन। अयोध्यायां ।।४।५।१४। जिनादयो गणधराणां श्री सिंहसेन । वजनान । चमरगणि । यशसां पादाः कारिताः । प्रतिष्टिताः श्री जिनहर्ष सूरिणा। दादाजी के चरण पर। __[1656] - ॥ सं १७७७ रा धराकायां पितामहानां श्री जिनकुशत सूरीणामयोध्यायां चरणन्यासः प्र। श्री जिनहर्ष सूरिणा खरतर प्रहारक श्री जिनवाज सूरि शिष्योपाध्याय श्री हीर. धर्मोपदेशेन कारिताः । जयनगर वासिना अधुना मिरजापुरस्थेन सेठ हुकुमचंदजेन । उदयचंदेन श्रेयोर्थ । यह और देवियों के पाषाण की मूर्तियों पर । [1657] ॥ श्री गोमुख यद मूर्सिः ॥ १॥ ॥ सं० १७३ फाल्गुन कृष्ण गुरौ प्रतिष्ठितं । "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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