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________________ ( १३३ ) ( 3 ) सं० जुधराम सूरदास सिवदास पदमश्री । प्रपौत्र साधारणादि परिवाभ्यु(८) ताज्यां श्रष्ठ पूज्य श्री मूर्ति सूरि व्हां भेजनास्वराणां पूज्य श्री ५ ( ९ ) श्री कल्याणमागर सूरीनामुपदेशेन श्री संजवनाथ बिंबं प्रतिष्ठापितं जव्यैः पूज्यमानं (चर नंयादिति श्रेयस्तुः ॥ ( मस्तक पर ) पातिसद श्री ५ श्री जहांगीर विजयराज्ये [ 1581] ( २ ) (१) ॥ स्वस्ति श्रीमन्नृप विक्रमादित्य समयात् संवत् १६७१ वर्षे शाके १५३६ प्रवर्त्तमाने श्री आगराडुर्ग वास्तव्य उपकेश ज्ञा( ३ ) तीय खोढा गोत्रे "" सा० राजपाल सद्भार्या श्रा० राजश्री तपुत्र संघपतिपदागर्जनक्षम संग रुषनदास ता ( ४ ) (५) र्या श्र० श्री तत्पुत्राय श्री कुंरपान सोनपाल संघाधिगच्यां श्री चत्र(६) ग पूज्य श्री ५ धर्ममूर्ति सूरि पट्ट श्री ५ कल्याणसागर सूररोधामुपदे ( 9 ) शेन श्र। अजिनंदन स्वामि चित्रं प्रतिष्ठापितं ॥ पूज्यमानं चिरं नंद्यात् ( मस्तकपर) पातिसाद अकबर जलालुदीन सुरत्राणात्मज पातिसाद श्री जहांगीर विजयराज्ये [1582] ( १ ) ॥ संवत् १६७१ वर्षे वैशाष सुदि ३ शनौ उसवाल हा ( २ ) तीय लोढा गोत्रे यांगाणी वंशे सं० ऋपनदास त(३) नार्या श्रा० रेषश्री तत्पुत्राज्यां सं० श्री कुंरपाल सं० सोन ( ४ ) पाल संघाधियैः तत्पुत्र सं० संघराज सं० रूपचंद चतुरजुज़ (५) धनपालादिसहितैः श्रीमदंचलगष्ठे पूज्य श्री ५ धर्ममूर्ति सूरि तत्व(६) हे श्री कल्याणसागर सूरिरुपदेशेन विद्यमान श्री रुपजानन जिन ( 3 ) बिंबं प्रतिष्ठापितं ॥ श्रीरस्तु ॥ ( मस्तक पर ) पातिसाद श्री जहांगीर विजयराज्ये ३४ , "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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