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(१४) श्री महावीर स्वामीजी का मंदिर - बोहरनटोला ।
मूलनायकजी पर।
[1542] ॥ सं० १५ "" श्री वर्धमान जिन प्रिंवं उसवंशे बहुग गोत्र लाला कीर्तिवंद तार्या शुलीया विधि तयो पुत्र मोतीचंदेन कारितं बृहत् विजय गठे ज० श्री सार्वजौम श्री पूज्य श्री जिनचंगसागर सूरि पट्टपनाकर जं। यु । प्र। शांतिसागर सूरिनिः ।
मूर्ति पर।
[1548] सं० १ए ... श्री पार्श्वजिन विंबं उसवंशे बड़डिया गोत्रे लाला दयानंद तत्पुत्र बोट मधून सत्पुत्र सरुपचंदेन सहितः कारितं प्र० विजय गच्छे ..... सूरिनिः।
पंचतीर्थी पर।
[1544] सं० १५१७ वर्षे माघ वदी रवौ सं० फाला जाए लपी सा दर्षा चा0 वारू सा गजा जा० माजी सं० वसा जा० बाली सं० जोगा श्री शांतिनाथ विवं तपा श्री हेमविमल मुरिचंकिनी ग्रामे। श्री पद्मप्रन स्वामीजी का मंदिर - चूडिवाली गली।
पंचतीर्थियों पर।
[1545] सं० । १३ न० श्री जिनचं सूरि शिष्यैः श्री जिनकुशल सूरिनिः श्री पार्श्वनाथ जिंत्र प्रतिष्ठितं कारितं च सा केसव पुत्र रत्न सा० जेहकु सुश्रावकेन पुण्यार्थ ।
"Aho Shrut Gyanam"