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( १५३ ) ज्रातृ उसीह " निः पितुः पुरु श्री श्रादिनाथ विवं का प्रा वृहाछे श्री महेश सूरिभिः ॥ श्री शुनं ॥
[1538] सं० १५११ वर्षे माघ वदि ५ उसवात झाती जामवाल गोत्रे जोजा पुत्र धडिया पु० मोहण पुत्र घेताकेन व नार्या श्रेयो) श्री शांतिनाथ विंबं श्री धर्मघोष गछे जा श्री मही तिलक सूरिनिः॥
चौवीशी पर।
[1580] सं० १५१७ माघ शुदि ५ दिने पत्तन वासी श्रीमाली श्रेगकरसी ना धारी सुत श्रेा गांधा साका नाणा लगिन्या श्रे० नरसिंग नार्या वैगमति नाम्न्या श्री वासुपूज्य चतुर्विशति पट्टः का प्र० श्री सोमसुंदर सूरि पढे श्री रत्नशेखर सूरिनिः ॥ श्री श्री तपमह ॥
[1540] संग । १६१६ वर्षे शाके १७५ प्रवर्तमाने वैशाख सुदि १० दिने रवौ अहमदाबाद वास्तव्य न केस वंशीय मा० आंतः ना० असरा तत्पुत्र सागकर नाव संपू तत्पुत्र साय मेलाटग्रेन ना मेलाद पुत्र पुत्री परिवारयुतेन आत्मश्रयोर्थ श्री अजितनाथ विवं कारितं तपागचे जट्टारक श्री आनंद विमान्न सूरि तत्पद्दे विजयदान सूरिभिः प्रतिष्टितं ।
पाषाण के चरण पर।
[1541] सं० १९२४ । नूग वंशे पदलावन गोत्रे लालु तत् पुत्र किसनचंद कारितं ।
"Aho Shrut Gyanam"