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________________ पंचतीर्थयों पर [1481] ॥ सवत् १५०० वर्षे वै० शु० ५ उपकेशज्ञातीय सा नानिग ना मल्हाड सुत साथ लाखा ला लाखणदे सुत सा० चाइडेन मातृ हासा सिधराज ना चापलदेवी सुत वसुपालादिकुटुम्बयुतेन पितृ श्रेयसे श्रीचन्सप्रनबिम्ब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीतपागठनायक श्री श्री मुनिसुन्दर सूरिभिः ॥ [1462] ॥ संवत् १५३६ वर्षे आषाढ सुदी नवम्यां तिथौ उप० वीरोलिया गोत्रे सा मूमा ना केव्ही पु० दशरथ नाम सा दशरथ ना दत्तसिरी पु० जिष्णदत्त श्री संजवनाम विम्ब का प्रा श्री पलीवालगच्छेश ज श्री ऊजोधण सूरिनिः॥ 1463] संवत् १५५५ वर्षे महा सुदी १० श्रीमालवंशे वहकटा गोत्रे साथ तेजा पुत्र साक जोगाकेन पुत्रादियुतेन श्रा० अमरसहितेन श्री सुविधिनाथ बिम्ब कारित प्रा श्री खरतरगजे श्री जिनइंस सरिनिः॥ भेयसे । 11464]: ॥ संवत् १५७७ वर्षे ज्येष्ठ वदी सोमे श्री अलवर वास्तव्य उपकेश ज्ञातीय वृद्धशा. खायां आयत्रिएयगोत्रे चोरवेडिया शाखायां सं० साहणपाल मा सहमालदे पु० सं० रत्नदास जा सूरमदे श्रेयोऽर्थ श्री उकेशगछे कुकदाचार्यसन्ताने श्री सुमतिनाथ कारापितं विम्ब प्रतिष्ठितं श्री सिक सूरिनिः ॥ चौविशी पर। [1465] ॥ संवत् १५३६ ज्येष्ठ शु० ५ प्राण ज्ञातीय सं० पूजा ना कर्मादे पुत्र सनरजम नाई "Aho Shrut Gyanam"
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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