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श्री श्रीमंदिर स्वामी जी का मंदिर-रोशन महला ।
गपाण की मूर्ति पर।
[1467]. (१) ॥ सं० १६६७ ज्येष्ठ सुदि १५ गुरौ ॥ ओसवा (२) ल झाति श्रृंगार । अरडक सोनी गोत्रे (३) साप हीरानंद पुत्र सा निहाखचंदे (४) न श्री पार्श्वनाथ कारितः सर्परूपाकार (५) श्री खरतरगल्ले श्री जिनसिंह सूरि पट्टे श्री (६) जिनचन्ड सूरिणा। श्री श्रागरा नगरे
धातुकी मूर्तियों पर ।
[1458] ॥ सं० १५३४ वर्षे माघ सुदी ५ श्री मूबसंघे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये श्री जिनवरदेवाः तत् शिष्य मुनिरत्नकीर्ति उपदेशात् खएमेलवालान्वये पहाड्या गोत्रे सा तेजा नार्या रोहिणी पुत्रो सा पूना पाहा नित्यं प्रणमन्ति ।
[1450] ॥ सं० १६१ श्री सुपार्श्वनाथ वि० का प्रबी हीरविजय रिनिः ।।
__[14601 ॥संवत् १६७४ वर्षे माघ वदी १ दिने गुरुवारे पुष्यनक्षत्रे साह श्रीजहांगीर विजय मानराज्ये श्रोसवालज्ञातीय नाहर मोडे। संग हीरा तत्पुत्र सम् अमरसी ना अन्तरङ्गारे तत्पुत्र सा साडूला जाव सोजागदे युतेन श्री मुनिसुव्रतस्वामी बिम्ब कारापितं प्रतिष्ठितं जहांगीर महातपाविरूद्धधारक चट्टारक श्री ५ श्री विजयदेवसूरिजिः ॥ शुनं जवतु ॥ • यह क्षेत्र श्री पारवनाथ स्वामी की श्वेत पाषाण की कायोत्सर्ग मुद्रा की मनोह मूर्ति के घरणचौका पर खुदा हुआ है।
"Aho Shrut Gyanam"