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________________ ( 2 ) आगरा। श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी का मंदिर-रोशन मोहवा । पंचतीर्थयों पर [1453] ॥ संवत् १३०५ वर्षे वैशाख सुदी ६ बुधे श्रीमाल ज्ञातीय श्रेण अरसीह ना पामनापुत्र " वाल्हाकेन श्री पार्श्वनाथ बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री सूरिनिः॥ [14431 ॥ संवत् १५५४ वर्षे मार्गशिर बदी ४ रवौ उपकेश ज्ञातीय लिंगा गोत्रे सा पीघा ना ऊदी 'पु० सा चेडन ना सूहवादे पुत्र शेषा सरूजन अरजन अमरासहितेन वपु० श्रीकुन्थुनाथ बिम्बं का प्रा श्रीजपकेशगले ककुदाचार्यसन्ताने श्री सिझ सूरि पट्टे श्री कक्क सूरि निः॥ __ [1444] ॥ सं० १५३३ वर्षे पोस सुदि १५ सोमे सिद्धपुर वास्तव्य ओसवाल ज्ञातीय सास नासण चाय वालू सु० बडाकेन ना० माई मुसूरा प्र० कुटुम्बयुतेन श्री सुमतिनाथ विम्वं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीवृहतगगडे श्री ज्ञानसागर सूरि पट्टे श्री उदयसागर सूरिभिः ॥ [1445] ॥ संवत् १५३६ व० ज्येष्ठ वदि ४ नोमे श्रीश्रीमाली दोसा रगना उपरिसन प्रावक ना हपारा सुत नैरवदासेन खश्रेयसे श्री पार्श्वनाथ वि का प्रति बृहत्तपा श्री उदयसागरसूरिनिः॥ [1440] ॥ संवत् १५७२ सा लीबा नारा का सं० गांडण रणधीर र देवाति प्रणमन्ति २७ "Aho Shrut Gyanam'
SR No.009679
Book TitleJain Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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